ये जिंदगी कितनी खूब है लड़खड़ाकर भी मुस्कुराती है कोई साथ दे या न दे फ़िर भी मन्ज़ि ये जिंदगी कितनी खूब है लड़खड़ाकर भी मुस्कुराती है कोई साथ दे या न दे ...
नहीं आया वो मिलने को मगर हमसे यारों उसकी आज़म राह बस देखते रहे है हम। नहीं आया वो मिलने को मगर हमसे यारों उसकी आज़म राह बस देखते रहे है हम।
अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं। अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं।
उफ़ ! ये तेरे अनोखे खेल, क्या खूब खेल खेला। उफ़ ! ये तेरे अनोखे खेल, क्या खूब खेल खेला।
नींबू ख़ूब सजाऐ.. नींबू ख़ूब सजाऐ..
एक मुर्दे ने दूजे मुर्दे से पूछा एक मुर्दे ने दूजे मुर्दे से पूछा